


इंदौर के देवालयों और आस्था के प्रमुख केंद्रों में खजराना गणेश मंदिर अग्रणी है। यहां भक्तों की सर्वाधिक भीड़ रहती है। बुधवार से शुरू हो रहे गणेश चतुर्थी के दस दिनी महोत्सव के दौरान यहां लाखों भक्त आएंगे। मंदिर के इतिहास की बात करें तो यह 250 से ज्यादा वर्ष पुराना है। महारानी देवी अहिल्या के कार्यकाल के दौरान यह मंदिर बनवाया गया था, जो अब इंदौर का भव्य और सिद्ध तीर्थ क्षेत्र बन चुका है।
किसी समय खजराना गणेश मंदिर इंदौर शहर से कुछ दूरी पर स्थित एक गांव में था। विकास और नगर के विस्तार से यह अब इंदौर की नगरीय सीमा में आ गया है। खजराना मंदिर के साथ ही आसपास के क्षेत्र का भी समुचित विकास किया गया है। मंदिर के विकास और विस्तार का कार्य लगातार जारी हैं।
आईने अकबरी में खजराना गांव का जिक्र
इंदौर शहर से कुछ दूरी पर स्थित खजराना गांव का उल्लेख ''आईना-ए-अकबरी'' भी किया गया है। दरअसल, खजराना ग्राम में एक छोटी सी टेकरी पर गणेश मंदिर स्थित था। इसका निर्माण देवी अहिल्या बाई होल्कर के कार्यकाल (1767-1795) में होना उल्लेखित है। मंदिर की देखरेख और व्यवस्था के संचालन के लिए भूमि दान दी गई थी। ग्राम खजराना की जागीर महाराजा शिवाजीराव होल्कर ने अपनी द्वितीय पुत्री सविताबाई को दी थी।
भट्ट परिवार दशकों से कर रहा पूजा
ऐसी मान्यता है कि क्रूर मुगलशासक औरंगजेब से रक्षा के लिए खजराना गणेश जी की मूर्ति कुएं में छिपा दी गई थी। इसे बाद में किसीहोल्कर राजा द्वारा निकलवाया गया और देवी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा मंदिर में प्रतिष्ठित करवाया गया था। मंदिर की व्यवस्था की देखरेख भट्ट परिवार दशकों से कर रहा है।